सत्संग व्याख्यानमाला (हिन्दी) - भाग ३
‘तमसो मा ज्योतिर्गमय...’
अध्यात्म मार्ग के गहन रहस्य को भगवान श्रीस्वामिनारायण ने अपने उपदेश-वचनों में सरल शब्दों में समझाया है जो ‘वचनामृत’ के रूप में हमें प्राप्त हुआ है। नई दिल्ली स्थित स्वामिनारायण अक्षरधाम के विद्वान संत पू. मुनिवत्सल स्वामीजी ने इस वचनामृत ग्रंथ के माध्यम से बृहदारण्यक उपनिषद् कथित ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय...’ इस प्रार्थना को अपनी चिन्तनशील शैली में व्याख्यान का स्वरूप दिया है। आईए, बी.ए.पी.एस. श्रीस्वामिनारायण मन्दिर, जालंधर मे संपन्न हुई इस व्याख्यान श्रेणी को सुने और हमारे साधना मार्ग को विशेष रूप से प्रकाशित करें ।