પ્રેરણા પરિમલ
બ્રહ્મસ્વરૂપ પ્રમુખસ્વામી મહારાજની પ્રેરક પ્રસંગ-સ્મૃતિઓ
તા. 24-6-2010, દિલ્હી
સાંજે ભારતના લશ્કરની ત્રણેય પાંખના વડા જનરલ વિજય કપૂર દર્શને આવ્યા. તેઓ બે મહિના પહેલાં જ નિવૃત્ત થયા છે. 43 વર્ષ લશ્કરમાં સેવા કરીને સેનામાં અપાતા દરેક એવોર્ડ તેઓ જીત્યા છે.
સ્વામીશ્રીએ હાર પહેરાવીને તેઓને સન્માન્યા. તેઓ સામે ખુરશી ઉપર બેઠા.
શ્રી કપૂર કહે : ‘मुझे दुःख ही है कि चार साल से यहाँ होने पर भी हम इस अक्षरधाम में आ न पाये। आप लोगों ने व्यवस्था के लिए जो सिस्टम और तरीके बनाये हैं, वो देखा, देख के बहुत खुशी हुई और लगा कि देश में ऐसी भी संस्था है जो इस तरह अपने संस्था को रन कर सकती है। आप इस संस्था के नेता है। श्रेय आपको जाता है।’
સ્વામીશ્રી કહે : ‘सब के नेता भगवान है। वहीं से सब कुछ आता है।’
શ્રી કપૂર કહે : ‘अक्षरधाम देखते वक्त मैंने आपके दर्शन की इच्छा प्रकट की थी। आप जैसे महान इन्टेलेक्च्युल के आशीर्वाद लेने हम आये हैं।’
સ્વામીશ્રી કહે : ‘आप भी देश की अच्छी सेवा करते हैं तो भगवान प्रसन्न है। देश में एकता बनी रहे वो भावना आपकी है। ऐसी भावना भगवान का गुण है, भगवान दत्त है। आपने भी देश के लिए अच्छा कार्य किया है।’
શ્રી કપૂર કહે : ‘आपकी संस्था का डिसिप्लीन मैंने देखा। ऐसा डिसिप्लीन पूरे देश में फैलाया जा सके तो पूरे देश को फायदा होगा। देश में कई इलाके ऐसे हैं जो अभी पीछे हैं। कई नकसलवाद चल रहा है। कइZ कुछ ने कुछ गरबड चलती है। जो देश को आगे जाने से रोकती है। पर आपकी जो सिस्टम है, जो मैंने देखी है, और आपने जो ओर्गेनाइझ किया है, वो दूसरों के उपर फैलाया जाय तो बहुत अच्छा होता है।’
સ્વામીશ્રીએ ભગવાન સ્વામિનારાયણનું કાર્ય અને જન્મ વગેરેની લીલા કહ્યા પછી કહ્યું : ‘ये सब सिस्टम भगवान स्वामिनारायण ने दी है और उन्होंने कहा है, भगवान की भक्ति करना, आचार-विचार शुद्ध रखना और हमारे गुरु कायम कहा करते थे कि भगवान सब का भला करें, केवल हमारा ही नहीं दूसरों का भी भला करें।’
શ્રી કપૂર કહે : ‘इस उमर में भी आप बहार घूमते रहते हैं, वो ताज्जुब की बात है और आपने जो स्थापित किया है वो सब लोगों के लिए बड़ा अच्छा है। जो इन्डिया की विझीट के लिए आते हैं वे सबके लिए अक्षरधाम बड़ा लेन्डमार्क है। भारत का भव्य पूर्वकाल देखने के लिए यह अच्छा स्थान है। यहाँ देख के हमारा सर गर्व से ऊँचा उठ जाता है। बहार के लोग अक्षरधाम देख के ताजमहल से भी अच्छा अभिप्राय व्यक्त करते हैं। उस दिन जब मैं यहाँ आया था तब साथ में ले जानेवाले जो यहाँ के स्वयंसेवक थे और सिक्युरीटी की जो सिस्टम थी और सब सिस्टम जैसे फोलो किया गया, वो देख के बहुत खुशी हुई। फौज के बहार कहीं भी ऐसी व्यवस्था और सिस्टम देखी हो तो यहाँ ही देखी है, इस बात का मुझे भी गर्व है। आप ऐसी सिस्टम चला रहे हैं, बहुत अच्छी बात है।’
સ્વામીશ્રીએ અક્ષરધામની આ સેવામાં જોડાયેલા બ્રિગેડિયર રાજસીતાપતિને યાદ કર્યા.
શ્રીકપૂર કહે : ‘बिग्रेडियर सीतापति नंबर १ आफिसर है। उनको आपका आशीर्वाद मिला वो भी बहुत अच्छा है। मुझे भी आपके आशीर्वाद मिले, बहुत अच्छा लगा।’ પછી તેઓ કહે : ‘आपके आशीर्वाद सारे हिन्दुस्तान पे रहना चाहिए।’
Vachanamrut Gems
Amdãvãd-6:
How can One's Conviction of God Never Falter?
Then, after the evening ãrti, Kubersinh asked Shriji Mahãrãj a question: “Mahãrãj, please reveal how the conviction of God that a person has firmly established in his heart would never falter.”
Shriji Mahãrãj first commented, “Everyone should hear the answer to this question, so please listen attentively.”
He then said in reply, “If one knows the greatness of the manifest form of God, then one’s conviction never falters. I shall now explain that greatness.
All of the avatãrs of God manifest from the very God that is present in this Satsang fellowship. That is to say, He is the cause of all of the avatãrs and is the antaryãmi of all. It is He who, in Akshardhãm, is radiant, full of countless powers and eternally has a form. He is also the Lord of all of the lords of the countless brahmãnds; He is even the cause of Aksharbrahman…”
[Amdãvãd-6]